किसी के साथ ,किसी से दूर,
किसी की आस, जैसे रेगिस्तान की प्यास,
कुछ रास्तों का अंजाम, तो,
कुछ मंज़िलों का आगाज़ लिए,
चला जा रहा है राही,
अपनी पहचान की खोज में,
अपने अस्तित्व की तलाश में,
सही और गलत के सवालों से दूर,
जहाँ ख्वाबों के शहर मुक्कम्बल हुआ करते हैं,
जहाँ इस भीड़ भरी दुनिया में,
खुद को संजो सके,
जहाँ अपने आज को ,
अपने अतीत से बेहतर बना सके,
चला जा रहा है राही खुद की तलाश में।
コメント