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  • Meha Shree

जिंदगी खोजने चली थी मैं

बस यूँही आज कहीं खयालों में खोई,

जिंदगी खोजने चली थी मैं

खोजने चली थी इस हस्ती का अर्थ,

उन टूटे सपनों में

खोजने चली थी मैं जीवन के कुछ राज़,

उन बिखरे पन्नों में।


जिंदगी नाम का कोई मिला तो नहीं मुझे,

लेकिन मुलाकात हुई मेरी उस दिन ,

जब सीखा था मैंने,

की सपने देखते कैसे हैं।

मिली मैं स्कूल के पहले दिन से,

उन दोस्तों से जिनके साथ एक अरसा गुजारा था,

वो अरसा जो कभी कुछ मासूम सा हुआ करता था।


मिली मैं उन दिनों से,

जब ये दुनिया इतनी बड़ी नहीं हुआ करती थी,

जब माँ के हाथों का खाना खाने,

इतनी दूर नहीं जाना पड़ता था।


मिली मैं उन खुशियों के अंशों से,

जो अब लगता है बहुत जल्दी गुजर गए,

मिली उन प्यारे से अरमानों से,

जो समय में खेलते-खेलते गुम हो गए,

मिली मैं उन गीतों से जो,

अब कहीं भूली वादियों में बिखर गए।


ऐसे ही खयालों में खोए ,

मुझे अहसास ही न रहा,

की मिल लिए उन सारे कतरों से,

जिसे हम जिंदगी कहने लग गए,

बस यूँही आज कहीं खयालों में खोई,

जिंदगी खोजने चली थी मैं।


- मेहा श्री


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