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Darshit Singh Chouhan

मेरा एक दोस्त

एक दोस्त है मेरा,

बिल्कुल मुझसा दिखता है,

पर वो मुझसे बेहतर है,

वो दुनिया के कहने से नहीं चलता,

वो खुद का रास्ता खुद बनाता है।

वो सशक्त है, वो बलवान है,

वो दूसरों को खुद से पहले रखता है,

पर वो खुद की ज़रूरत का भी ध्यान रखता है।


गलत होने पर वो आवाज़ उठाता है,

दूसरों की मज़बूरी समझ वो चुप भी रहता है,

वो कोई ईश्वर नहीं,

वो बस इंसान बनने की कोशिश करता है।

वो दूसरों की इज़्ज़त करता है,

पर वो खुद का भी मान रखता है,

सुनता सभी की है वो,

पर खुद के फैसले खुद ही लेता है।


वो समझता है सही और गलत का फर्क,

वो फर्क का जवाब भी तर्क से देता है,

वो दिल और दिमाग दोनों से निष्कर्ष निकालता है।

वो दूसरों की रज़ा को मानता है,

वो खुद की इच्छा भी बताता है,

साथ वाले को जाने नहीं देता,

वो जाने वाले को रोकने की कोशिश भी करता है।


वो अपनों को खोने से डरता है,

वो अपनों के बीच खुद को भी बचाता है,

वो कई बार बिखरता है, टूटता है,

वो हर बार खुद को समेटता है।

वो सहारा बनता है दूसरों का,

वो खुद मदद की आस रखता है,

लोग दूसरों को अपना आदर्श बनाते है,

वो खुद को आदर्श बनाता है।


वो एक मेरा दोस्त,

मेरी आँखों के सामने,

मेरे आईने में रहता है,

वो मेरा अक्स कहलाता है।

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