मैं कौन हूँ और मैं क्या हूँ,
मेरी हिम्मत और उड़ान देख,
अक्सर लोग बाकी देश सोचते हैं,
मैं कौन हूँ और अब क्या हूँ
मैं क्यों अब इतनी आज़ाद हूँ।
इतने साल जो बीता उसे एक गठरी में बाँध,
काँधे पर लाद चलती हूँ
मत पूछना अब ये गठरी कितनी भारी है,
क्योंकि मेरी लड़ाई अभी भी खुद से जारी है।
मैंने सहा है अपने मस्तक में जिहादी ख़ून ख़राबा,
हाथों में खतरा,
मेरे कंधों का बटवारा,
मेरे वस्त्रों का हरण,
प्रथा के नाम पर कितनी ही मेरी बेटियों का दहन,
मेरे पैरों के पास बहती नदी के लिए लोगों का शोषण।
पर आज दूसरों को कुछ जवाब देना चाहती हूंँ,
शायद इतने सारे ज़ख़्मों का,
बस हिसाब देना चाहती हूँ,
जो सहा देखा सिखाया परखा,
सिर्फ उतना सपने लाना चाहती हूँ।
आओ आपको अपनी एक तस्वीर दिखाती हूंँ,
मेई वो हू जो ज़मीन बताकर लोगों में बाटी गई हूंँ,
उपनिवेशवाद के नाम पर, कितने साल रोंधी गई हूंँ।
पर मैं वो नहीं जो दिखाई देती हूंँ,
मैं सिर्फ अब अपने युवा पीढी के ज़हन में सुनाई देती हूँ,
मैं मीरा की भक्ति हूंँ,
मैं राणा प्रताप के तिलक हूंँ,
मेई राम का आदर्श हूंँ,
मैं कृष्ण की लीला हूँ,
मैं टीपू सुल्तान की तलवार हूंँ,
मैं सीता नहीं राम की मैं वो खुद हूंँ जो उनपर बीता,
मैं द्रौपदी नहीं महाभारत की,
मेई उस अपमान का परिणम हूंँ,
मेई पृथ्वीराज में के साथ हुआ चल नहीं,
मैं उसकी आँख बंद तलवार की धार हूंँ।
युगों युगों से होते आए हर धोखे, चल, तिरस्कार का जीता जागता विचार हूंँ,
मैं कौन हूंँ और मैं क्या हूंँ,
मत पूछो क्योंकि में उनके सोच से आगे का जहान हूंँ,
मैं भारत महान हूंँ,
मैं भारत महान हूंँ ।
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