कटि पतंग सा गिरे जा रहा हूंँ ।
तू भाग तो जरा ,
कतार से आगे निकल मुझे लूटने तो आ ।
थोड़ा फेंका फटा सा मिलूंगा ,
शायद किसी पेड़ पे अटका पड़ा सा मिलूँगा,
या क्या पता कीचड़ में भीगा सड़ा सा मिलूँगा ।
जो भी हो हाल, तू उठा लेना जरूर ।
जोड़ जाड़ के या चिपका के ही सही ,
मांझे का धागा तू मुझसे बांध देना जरूर !
फिर जाना तू छत पर भागे भागे ,
प्यार से न हो तो जोर से ही सही,
उड़ा देना मुझको तू हवाओं के आगे ।
आगे बढ़ाते ढील तू देना , गिरने लगूं तो खींचने लगना ।
जो पहुँचूँगा मैं दूर भी तुझ्से ,
तो जुड़ा रहूँगा मांझे से लगके !
जो काट दे मांझा फिर कोइ आके
तो लूट तू लाना फिर से जाके !
मुझे लूट तू लाना फिर से जाके !
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