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Chandrashekhar P S

लूट तू लाना

कटि पतंग सा गिरे जा रहा हूंँ ।

तू भाग तो जरा ,

कतार से आगे निकल मुझे लूटने तो आ ।

थोड़ा फेंका फटा सा मिलूंगा ,

शायद किसी पेड़ पे अटका पड़ा सा मिलूँगा,

या क्या पता कीचड़ में भीगा सड़ा सा मिलूँगा ।

जो भी हो हाल, तू उठा लेना जरूर ।


जोड़ जाड़ के या चिपका के ही सही ,

मांझे का धागा तू मुझसे बांध देना जरूर !

फिर जाना तू छत पर भागे भागे ,

प्यार से न हो तो जोर से ही सही,

उड़ा देना मुझको तू हवाओं के आगे ।

आगे बढ़ाते ढील तू देना , गिरने लगूं तो खींचने लगना ।


जो पहुँचूँगा मैं दूर भी तुझ्से ,

तो जुड़ा रहूँगा मांझे से लगके !

जो काट दे मांझा फिर कोइ आके

तो लूट तू लाना फिर से जाके !

मुझे लूट तू लाना फिर से जाके !



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