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दिवाली घर से दूर

Shivam Kumar

आज सुबह सुबह वो ठंडी हवा मुझे ये अहसास दिला गई कि मैं घर से दूर हूँ

जिन अपनों से लड़ा करता था मिठाईयों के लिए

आज मैं उन अपनों से दूर हूँ

आज मुझे ये अहसास हुआ कि मैं अपने घर से दूर हूँ


नए कपड़े और पटाखे तो यहाँ पर भी है,

लेकिन उनमे वो बात नहीं

घर की साफ-सफाई तो यहाँ भी है,

लेकिन साथ मम्मी के वो दो हाथ नही

है तो इंद्रधनुष के सातों रंग यहाँ भी ,

लेकिन फिर भी उस रंगोली में वो बात नही


पर मैंने जब देखा अपने आस-पास,

तो घर के काम मे हाथ बटाते कुछ दोस्तों का हाथ मिला

चाहे नही है मेरे भाई-बहन मेरे साथ,

पर पटाखे जलाने के लिए कुछ दोस्तों का साथ मिला


पूरी तो नहीं है खुशियाँ पर कुछ खुशियों के साथ हूँ

मुझे पता है कि मैं अपने घर से हूँ दूर

पर इस दीपावली मैं अपने दोस्तों के साथ हूँ


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