top of page

बेटा अब लौट आओ ना....

Abhishek Kumar

कर रही है पूजा, जिस बेटे के लिए

वो इस बारी भी घर नहीं आएगा

आखिर पढ़कर ऐसा खत

बेटा, भला खुद को कैसे शहर मे रोक पाएगा


बेटा,


छठ आ रहा है

अब तुम भी लौट आओ ना

बहुत हुआ घर के खातिर कमाना

अब आ कर घाट सजाओ ना


गेंहू को धो कर सुखा दिया है

अब उसे कौन पिसवाएगा

बाज़ार जाकर प्रसाद का सामान कौन लाएगा

बाकी है बहुत सी तैयारी अभी भी

तुम भी आ जाओ अब घर

तुम आ कर अब हाथ बटाओ ना


आँगन अभी भी सूना पड़ा है

हर तरह समान यूँ ही बिखरा पड़ा है

कोशी पूजने के लिए जगह बनाना है

मिट्टी से लीप कर चूल्हा सजाना है

तुम भी अब घर आ जाओ ना

तुम आ कर अब तैयारी कराओ ना


गाँव जाकर दौरा भी लाना है

लोगों से मिलकर घाट सजाना है

खरना का प्रशाद तो बना दूँगी मैं

उसे हर घर तक भी तो पहुँचाना है

तुम भी घर आजाओ ना

तुम आ कर, घाट तक दौरा ले जाओ ना


जगमगाता हुआ दिखेगा घाट

लेकिन अरग देते वक्त तुम्हारी कमी सताएगी ही

कर तो लूँगी मैं व्रत पूरा

लेकिन तुम्हारे बिना रह जाएगा ना यह पर्व अधूरा

: माँ ❣️

5 views

Recent Posts

See All

Comments


  • Instagram

Follow us on Instagram

LitSoc DSI

bottom of page