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होस्टल और जिंदगी

Meha Shree

जैसे लोग कहते हैं चलती का नाम जिंदगी,

वैसे हम कहती हैं नाटक का नाम होस्टल ।

सच्ची घटनाओं पर आधारित कुछ ऐसे किस्से हो जाते हैं,

जो एकता कपूर की कितनी ही कहानियों की प्रेरणा बन जाए ।


अगर पूछोगे क्यों तो पहला जवाब होगा हमारा लड़कियाँ ।

और दूसरा इंजीनियरिंग कॉलेज।

सब आधे तो पागल ही आते हैं

साथ रह कर शायद एक दूसरे को पूरा बना जाते है ।


आज किसने किसकी चुगली की ,

और किसकी किसके साथ जोड़ी बनी ।

ये सब तो है रोज की बातें है ।

आज किसके कमरे से नागिन निकलेगी,

और किसकी कमरे में ये रिश्ता क्या कहलाता है के

दृश्य रचेंगे,

इसकी कल्पना अलग ही प्रतिभा है ।


अब वार्डन की बात करें तो उनका अलग ही छंद है

चिल्लाते हुए आना,

पीछे गुर्राती शेरनियाँ छोड़ जाना।

खलनायक बन कर खुशियाँ लूट ले जाना ।

ये तो शायद उनकी नौकरी का आम हिस्सा है ।


इन सब के होते हुए धारावाही की क्या जरूरत

सारे रंग तो इन्होंने ही दिखा दिए ।

सारे किरदारों से इन्होंने ही मिला दिए।


खैर होस्टल की जिंदगी होती बड़ी मजेदार है,

और यह तो बस शुरुआत है।

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