जैसे लोग कहते हैं चलती का नाम जिंदगी,
वैसे हम कहती हैं नाटक का नाम होस्टल ।
सच्ची घटनाओं पर आधारित कुछ ऐसे किस्से हो जाते हैं,
जो एकता कपूर की कितनी ही कहानियों की प्रेरणा बन जाए ।
अगर पूछोगे क्यों तो पहला जवाब होगा हमारा लड़कियाँ ।
और दूसरा इंजीनियरिंग कॉलेज।
सब आधे तो पागल ही आते हैं
साथ रह कर शायद एक दूसरे को पूरा बना जाते है ।
आज किसने किसकी चुगली की ,
और किसकी किसके साथ जोड़ी बनी ।
ये सब तो है रोज की बातें है ।
आज किसके कमरे से नागिन निकलेगी,
और किसकी कमरे में ये रिश्ता क्या कहलाता है के
दृश्य रचेंगे,
इसकी कल्पना अलग ही प्रतिभा है ।
अब वार्डन की बात करें तो उनका अलग ही छंद है
चिल्लाते हुए आना,
पीछे गुर्राती शेरनियाँ छोड़ जाना।
खलनायक बन कर खुशियाँ लूट ले जाना ।
ये तो शायद उनकी नौकरी का आम हिस्सा है ।
इन सब के होते हुए धारावाही की क्या जरूरत
सारे रंग तो इन्होंने ही दिखा दिए ।
सारे किरदारों से इन्होंने ही मिला दिए।
खैर होस्टल की जिंदगी होती बड़ी मजेदार है,
और यह तो बस शुरुआत है।
Comments