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घर वापसी
हम कहते हैं अक्सर, "बस, अब जाना है घर", पर एक सवाल है मेरा, क्या वहीं है घर जहाँ हो, रैन-बसेरा..। कोई कहे घर वही , जहाँ बाबा कि डाँट और...
Jhanak Chaurasiya
Jul 21, 20232 min read
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जिंदगी खोजने चली थी मैं
बस यूँही आज कहीं खयालों में खोई, जिंदगी खोजने चली थी मैं खोजने चली थी इस हस्ती का अर्थ, उन टूटे सपनों में खोजने चली थी मैं जीवन के कुछ...
Meha Shree
Jul 7, 20231 min read
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कैसे इतना जल्दी वक़्त बीता
"" तुम ना हारे हालात से बदलना, ना दूसरो की नुकीली बात से बदलना, तुम अपनी चाहतों को, जमाने की चाह से मत बदलना, आज़ादी की उम्र में तुम,...
Soumya Gauraha
Jun 30, 20232 min read
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बचपन
बचपन के वो खेल गजब के , बहुत अनमोल वो कहानी है, उस भारी बस्ते में जो सिमट, कर रह गई ऐसी वो कहानी है । महक उन नई किताबों की, जो मुझे वापस...
Shivam Kumar
Jun 23, 20231 min read
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उस रोज़ उस पल
उस रोज़ उस एक पल से, मैंने खुद को पीछे छोड़ दिया, जब से मैं इस ज़माने के साथ चला। कभी खुद को ना मिल सका, सबकी बराबरी की होड़ में, खुद के...
Darshit Singh
Jun 16, 20231 min read
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जब हर दरवाजा बंद हो तो
कहते है जब हर दरवाजा बंद हो तो वो वक्त कदम बढ़ाने का होता है कहते है जब सबका हाथ छूट जाए तो वो वक्त आगे बढ़ने का होता है कहते है जब वक्त...
Nainshree Raj
Mar 22, 20231 min read
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WORDS VS WILDFIRE
It all started with a small well-lit match, Dropped onto to a grass patch, The fire slowly spread from one blade of grass to another, All...
Gauri Srinivas
Mar 2, 20231 min read
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घर
निकले थे घर से सपने पूरे करने अब सपनों में भी घर याद आता है। रहते थे जहा सारे आपने आज इस मतलबी दुनिया में वो घर याद आता है। निकले थे घर...
Aditya Gupta
Dec 28, 20221 min read
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ये जिंदगी
सबक सिखाते रहती ये जिंदगी, रह रह के तड़पाती ये जिंदगी। अचानक हँसी को गम में बदल देती ये जिंदगी कभी रोते हुए को हँसने का बहाना देती ये...
Varenya Vaibhav
Oct 19, 20221 min read
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महाभारत – आईना जुनून का ?
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।...
Ankan Bhatt
Sep 14, 20222 min read
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समाज के बंद दरवाज़े
समाज के इन बंद दरवाजों, की आड़ में सब कुछ हो जाता है, पहले पीटा जाता है, फिर मूँह दबोचा जाता है, इन्सानियत को परे रख, हैवानियत का स्वरूप...
Darshit Singh
Aug 3, 20222 min read
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पापा
बाहर से थोड़ा सख्त हूँ लेकिन दिल आसानी से पिघल जाता है बच्चे की परवाह तो करनी पड़ेगी ना गलत राह में जो फिसल जाता है करियर तो बनवाना...
Ankush Sharma
Apr 20, 20221 min read
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एक खत उस समाज के नाम
एक खत उस समाज के नाम लिखा है जहां हर किसी ने उस मर्द को बुरा देखा है माना थे कुछ जिन्होंने गलतियां की थी लेकिन उन कुछ के कारण समाज ने हर...
Shivam Kumar
Jan 5, 20222 min read
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दिवाली घर से दूर
आज सुबह सुबह वो ठंडी हवा मुझे ये अहसास दिला गई कि मैं घर से दूर हूँ जिन अपनों से लड़ा करता था मिठाईयों के लिए आज मैं उन अपनों से दूर हूँ...
Shivam Kumar
Nov 10, 20211 min read
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आकलन
अपनी ही उलझनों में, कभी खुद से दूर हो जाती हूँ, किसी को ना बता सकूँ, उस वक्त से भी गुज़रती हूँ उस वक्त से भी गुज़रती हूँ। खुद से पूछ...
Hitakshi Jain
Aug 18, 20211 min read
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